इस पावन दिवस पर सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो जैसे जनजातीय वीर-वीरांगनाओं आदरपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
प्राचार्य डॉ प्रीतिबाला सिन्हा ने बताया 1855-56 में संथाल विद्रोह का नेतृत्व करने वाले दो भाइयों सिदो और कान्हू ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। इस विद्रोह में अंग्रेजों ने लगभग 20 हजार संथालियों को गोलियों से भून डाला था।
मौके पर उपस्थित डॉ प्रशांत खरे ने सभी छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा उन्होंने संथाल एकता को प्रदर्शित करते हुए शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई थी।
डॉ अर्पित सुमन ने कहा हूल दिवस हमारे आदिवासी समाज के अप्रतिम साहस, संघर्ष और बलिदान को समर्पित एक महान अवसर है। हमें आपस में एकता बना कर रखनी चाहिए। इसके छात्राओं के द्वारा शहर में रैली निकाली गई जिसमें सिद्धू कान्हू जीतकर की ध्वनि गूंजने लगी। इस अवसर पर महिला कॉलेज की छात्राओं के साथ-साथ सीता राम सोरेन, विजय मुर्मू, भुंडा मुर्मू और अनिल टुडू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।